तेरे बिन जो ये पल कट रहें हैं
मेरी ज़िन्दगी के तुकडे बंट रहें हैं
समेट लो इन्हें मुझे पुकार लो
बाहों का अपनी मुझे हार दो
कुछ न कहो बस अपना दीदार दो
ऐसे ही मेरी ज़िन्दगी गुज़ार दो ।
मेरी ज़िन्दगी के तुकडे बंट रहें हैं
समेट लो इन्हें मुझे पुकार लो
बाहों का अपनी मुझे हार दो
कुछ न कहो बस अपना दीदार दो
ऐसे ही मेरी ज़िन्दगी गुज़ार दो ।
No comments:
Post a Comment