UDAAN
Friday, December 8, 2023
वक्त
उसे तो निरंतर चलना है
न कोई मकसद न कोई मंजिल
न कोई हमराज न कोई हमराही
न उसका कोई चाहने वाला
न उसकी कोई चाहत
अदृश्य, पर सारी श्रृष्टि पे दृष्टि
हर क्षण नवजीवन हर क्षण विनाश,
किसी बात पे तो हंसता होगा?
किसी बात पे तो अश्रु बहाता होगा?
वक्त,
कैसे अपना वक्त बिताता होगा?
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